रविवार, 14 अक्तूबर 2012

न्याय

न्याय !!!
एक ग्वालिन नजदीक के शहर से दूध बेचकर वापस अपने गाँव आ रही थी। रास्ते में तालाब के किनारे थोड़ा -विश्राम करने बैठ गयी। वट वृक्ष की घनी छाया और पानी की ठंडी हिलोरें। थकावट के कारण ग्वालिन को नींद-सी आने लगी। उस पेड़ पर एक चंचल बन्दर का निवास था। इधर ग्वालिन को नींद आई और उधर वह बन्दर लोटे के पास रखी हुई पैसों की थैली ले भागा।
जागने पर ग्वालिन को पता लगा तो उसने बहुत देर तक बन्दर के निहोरे किये, उसके बार-बार हाथ जोड़े। काफी परेशान करने के बाद बंदर ने थैली खोली। एक पैसा तालाब के पानी में फेंकता और एक पैसा उसके लोटे में। ठीक आधी पूंजी ग्वालिन के पल्ले पड़ी। ग्वालिन को मन-ही-मन बड़ा अचरज हुआ कि यह बन्दर तो अदल न्यायी निकला, दूध के पैसे दूध में और पानी के पैसे पानी में। अनजाने में ही उसने न्यायोचित फैसला कर दिया।
साभार 'कादम्बिनी'

सफल जीवन का रहस्य

एक दिन स्वामी विवेकानन्द दुर्गाबाड़ी से माँ दुर्गा के दर्शन करके जब लौट रहे थे, तो बन्दरों का एक दल उनके पीछे लग गया। यह देखकर स्वामी जी ने कुछ भय से लम्बे-लम्बे डग भरने आरंभ कर दिए। बन्दरों ने भी उसी तेज गति से उनका पीछा जारी रखा। यह देखकर स्वामी जी और भी शंकित हो उठे और बन्दरों से छुटकारा पाने के लिए दौड़ने लगे। बन्दरों ने भी उनके पीछे दौड़ना आरंभ कर दिया। यह देखकर स्वामी जी और भी घबरा उठे और उन्हें अधिक तेज दौड़ने के सिवा बन्दरों से बच निकले का कोई दूसरा उपाय नहीं सूझ रहा था। दौड़ते-दौड़ते सांस फूलने लगी, परन्तु बन्दर थे कि पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे। संयोग की बात हैं कि सामने से एक वृद्ध साधु आ रहा था। उसने संन्यासी विवेकानन्द की घबराहट की यह दशा देखकर उन्हें सम्बोधित करते हुए आवाज दी, ‘‘नौजवान रूक जाओ, भागो नहीं, बन्दरों की ओर मुँह करके खड़े हो जाओ।’’ वे बन्दरों की ओर मुँह करके खड़े हो गये। फिर क्या था, बन्दर ठिठक गए और कुछ ही क्षणों में बन्दर तितर-बितर हो गए।
इस घटना से एक बहुत बड़ी शिक्षा मिलती हैं, जो स्वामी जी ने ग्रहण की। वह यह हैं कि जीवन में विपत्तियों से छुटकारा पाने के लिए विपत्तियों का साहस पूर्वक सामना करना चाहिए। उन्होंने अमरीका के न्यूयार्क नगर में भाषण देते हुए इस घटना का वर्णन किया था और कहा, ‘‘इस प्रकार प्रकृति के विरूद्ध मुँह करके खड़े हो जाओ, अज्ञान के विरूद्ध, माया के विरूद्ध मुँह करके खड़े हो जाओ और भागो नहीं।’’ संसार में सफल जीवन बिताने का यही रहस्य हैं...

मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012

देवनागरी(हिन्दी) मे लिखने का सरल तरीका


Microsoft Indic Language Input Tool
बहुधा लोग फेसबुक चैट और टिप्पणियों में सीधे देवनागरी में लिखते देख उसकी विधि और उपाय पूछते हैं।
जिन्हें कंप्यूटर पर सीधे देवनागरी में लिखने की विधि नहीं पता और वे सीधे देवनागरी में लिखना चाहते हैं वे माइक्रोसॉफ्ट का इंडिक लैंगवेज़ इनपुट टूल अपने कंप्यूटर में संस्थापित कर लें।
उसे यहाँ से
http://www.bhashaindia.com/ilit/
Install Desktop Version  क्लिक कर  डाऊनलोड करना होगा। यहीं पर दाहिनी ओर एक वीडियो ( Desktop Version Demo (captioned) भी दिया है जिसे देखकर क्रमवार उसी प्रकार करते जाएँ।
जिन्हें डेमो के वीडियो से उतना सुविधाजनक न प्रतीत हो वे यहाँ से सहायता लें और दिए गए निर्देशों का क्रमवार व अपने सिस्टम की आवश्यकतानुसार पालन करते जाएँ -

http://www.bhashaindia.com/ilit/GettingStarted.aspx?languageName=Hindi
आशा है, इसके पश्चात् आप सीधे देवनागरी में धाराप्रवाह लिखने लगेंगे।
जिन्हें देवनागरी लिखने पर सिस्टम में डिब्बे अथवा जंक-सा दिखाई देता हो वे यहाँ से सहायता ले सकते हैं -
http://www.bhashaindia.com/ilit/ComplexScriptSupport.aspx?languageName=Hindi
कोई असुविधा हो तो पूछ सकते हैं।

साभार - डॅा कविता वाचक्नवी