रविवार, 11 नवंबर 2018

आत्मसम्मान

आत्मसम्मान एक ऐसा शब्द है जिसे हर इंसान को अपने अंदर जीवित रखना चाहिए जो इस शब्द की महत्ता को नही समझ सकता वो इंसान हमेशा पीछे और दूसरों पर आश्रित ही रह जायेगा अगर कठोर शब्दों में कहे तो दूसरों के टुकड़ों पर पलने वाला कुछ समय बाद दूसरों पर आश्रित व्यक्ति की यही कहानी और सच्चाई होती है. एक कहावत मुझे याद आ रही है "पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं" जो बिल्कुल सत्य है. अगर व्यक्ति इस सच्चाई को समय रहते नहीं चेत लेता है तो उसे समय इस सच्चाई का अनुभव करा देती है.