बुधवार, 1 अगस्त 2018

इलाहाबाद यात्रा नये अनुभव

कल इलाहाबाद गया था बहन को परीक्षा देनी थी जोकि शिक्षक भर्ती की परीक्षा थी तो इस परीक्षा में बडे परेशान हुए होना लाजिमी भी था क्योंकि परीक्षा कराने वाली संस्था ने अपने हिसाब से नियम जो बनाये थे। इस संस्था ने परीक्षार्थी को पास के परीक्षा केंन्द्र ना देकर दूर के परीक्षा केंन्द्र निर्धारित किये थे और वो भी २०० से ३०० किमी दूर। उसके पीछे कारण बस ये था कि परीक्षा कराने वाली संस्था ने विषयों के हिसाब से परीक्षा केंन्द्र निर्धारित किये थे। परन्तु उसने ये नहीं सोचा कि अपनी सुविधा के लिए परीक्षार्थियों को कितना परेशान कर रहा है।

जिस दिन परीक्षा थी उस दिन इलाहाबाद में सुबह से हीं बारिश हो रही थी। कई परीक्षार्थी जो सुबह जल्दी ही परीक्षा केंन्द्र पहुंच गये वंहा कोई सुविधा ना हौने के कारण सडक पर खडे होकर भीगते रहे। कोई गाजियाबाद तो कोई कुशीनगर और कोई गोरखपुर यानि कि उत्तरप्रदेश का हर शहर से लोग आये थे। लोगों का समय, रूपया तो व्यय हुआ ही साथ ही परेशानी अलग से ये है सरकारी कार्यप्रणाली।

उस पर इलाहाबाद की सडकें भी गजब ढा रही थी कहीं भी हमें ऐसी सडक नहीं मिली जोकि गड्डा मुक्त हो और बारिश कि वजह से जलभराव अपनी चरमसीमा पर था। बारिश में कपडें तो कम ही भींगे जूते और मोजे ज्यादा भीग गये। खैर परीक्षा ख्त्म होने के पश्चात हम स्टेशन आ गये जंहा भारतीय रेल की लेटलतीफ की कार्यप्रणाली के चलते सीमांचल एक्सप्रेस मिल गयी जोकि अपने समय से ढाई घन्टा देरी से चल रही थी वर्ना उसके बाद फिर साढे पांच बजे ही अगली ट्रैन हमें मिलती और वो भी देरी से आती जरूर। सुबह का किस्सा तो रह ही गया सुबह चार बजे जैसे तैसे हम स्टेशन पहुंचे तो ट्रैन पहले पंद्रह मिनट लेट थी जो धीरे धीरे करते हुए डेढ घन्टा लेट हो गयी। ट्रेन थी आनंद विहार मंडवाडीह एक्सप्रेस जोकि चार बजकर पचास मिनट पर थी पर आई छः बजे पहुंचना था सात बजकर तीस मिनट पर तो हम पहुंचे नौ बजकर तीस मिनट पर। खैर एक सबक मिला जोकि पहले भी पता था कि अगर ट्रेन से जाना है तो दो से तीन घन्टे की देरी के लिए तैयार रहे और विशेष परिस्थितियों उससे भी ज्यादा।