रविवार, 15 नवंबर 2015

त्योहर बाद का जीवन

त्योहार बाद जब अपने बिखरते है तो कितना बुरा लगता है पर ये तो प्रकृति का नियम है कि बहार के बाद पतझड़ तो आएगा ही. हमें तो त्योहार बाद कुछ ऐसा लगता है कि जैसे कहीं घूमने गए थे और अब वापस लौट आये है। हमारे बुजुर्ग बहुत ही अनुभवी और मानवीय स्वभाव की गहरी समझ रखने वाले थे तभी उन्होंने त्योहार बनाये वर्ना परिवार के लोगो का आपस में मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है। कभी कभी ऐसा लगता है कि सब लोग आगे बढ़ रहे है परन्तु मैं नहीं।  मानव जीवन और बहता हुआ समय एक बार ही मिलता है पर मुझे कभी-कभी लगता है कि मैंने उसको उतनी ही लापरवाही से खर्च कर दिया है पर क्या क्षतिपूर्ति संभव है नहीं परन्तु हाँ पिछली घटनाओं से सबक ले कर आगे का जीवन सुनहरा किया जा सकता है जिस प्रकार एक बच्चा गर्म दूध का अनुभव कर आगे से उसे ठंडा कर ही पीता है।

शनिवार, 24 अक्तूबर 2015

बेंजामिन फ्रैंकलिन

इधकर कुछ दिनों से बेंजामिन फ्रैंकलिन की आत्मकथा पढ़ रहा हूँ । बहुत ही धनी व्यक्तिव और बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे बेंजामिन फ्रैंकलिन । एक आविष्कारक, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक की भूमिका में थे वे । उनका जीवन अनुकरणीय है युवाओं के लिए कि कैसे संघर्षो का सामना किया ज़ाए । उनके आत्म कथा अपने पुत्र को लिखे पत्र के प्रारूप में है पर लिखने की शैली रुचिकर है अपनी आत्म कथा में इन्होंने अपने परिवार के इतिहास का भी बखूबी वर्णन किया है। बेंजामिन फ्रैंकलिन को शुरुआत से ही किताबों का पढ़ने का शौक था जिसने उनके व्यक्तिव पर गहरा प्रभाव डाला. उस समय उन्होंने उन कामो को अंजाम दिया जो हमें बहुत ही मुश्किल लगते है.

एप्प परीक्षण polaris office +pdf

                                                         एप्प  परीक्षण
आज मैंने एक नया एप्प डाउनलोड किया जिसका नाम polaris office +pdf है. इस एप्प पर ही यह लेख लिखा गया है. इस एप्प पर हिन्दी लिखने और पढ़ने में कोई समस्या नहीं है इस एप्प का और स्क्रीन शाट संलग्न है. यह एप्प 45.3 एमबी का है जोकि  मोबाइल में 135 एमबी की जगह लेता है. पर इसमें कुछ सुविधाएं सिर्फ प्रीमियम उपभोक्तओं को ही दी गयी है जैसे पासवर्ड, क्लाउड सुविधा  
  

गुरुवार, 8 अक्तूबर 2015

सच्चा उद्देशय

अभी हाल में ही एक फ़िल्म देखी जिसका नाम था लूसी उसमे एक बहुत ही बढ़िया बात कही गई मानव सभ्यता के बारे में। उसमे बताया गया कि मानव सभयता में ज्ञान और अनुभव एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचते रहे और शरीर की प्रत्येक कोशिका का काम भी यही है अपनी जानकारी को दूसरी कोशिका को देना और मानव का सच्चा उद्देशय भी यही होना चाहिये कि जो ज्ञान उसके पास है वो आगे की पीढ़ी भी प्राप्त करे न कि वो वही समाप्त हो जाए. तो मुझे भी यह तर्क और उद्देश्य सही लगा और तब मैंने निश्चय किया कि आज से मैं जो भी ज्ञान या कुछ नया सीखूंगा तो उसे दूसरों से साझा अवश्य करूंगा इसीलिए अब मेरा ब्लॉग नियमित अपडेट रहेगा हाँ समयाभाव इसमें आगे आड़े आ सकता है और कुछ नहीं.