सोमवार, 28 जनवरी 2013

जिन्दगी की व्यस्तता

कभी-कभी जिन्दगी इतनी व्यस्त हो जाती है कि हम जिन्हें बहुत चाहते है उनसे मुलाकात भी नहीं कर पाते है । जैसे मै अपने भांजे से बहुत प्यार करता हूँ पर व्यस्तता के कारण उससे मुलाकात ही नहीं कर पाया पूरे दो महीने हो गये पर उसका वो प्यार भरा चेहरा  मै नहीं देख पाया हूँ । अब किसी भी दिन मै उससे मिलने के लिए  जाने ही वाला हूँ क्योंकि मुझे उसकी बहुत याद आ रही है । जब भी उसका चेहरा देखता हूँ तो जीवन की खूबसूरती का एहसास होता है और जिन्दगी के सारे तनाव भूल जाता हूँ । मुझे तो ऐसा लगता है कि बच्चे ईश्वर की सबसे प्यारी रचना है । वो हममें एक अलग ही एहसास जगाते है । उस अहसास को इतनी जल्दी नहीं भुलाया जा सकता है । मुझे अपने भांजे की सबसे अच्छी बात उसका मुस्कराना लगता है । जल्द ही उससे मुलाकात होगी ।

बुधवार, 23 जनवरी 2013

जीवन दर्शन

समय के नियोजन का अर्थ होगा, महत्वहीन विषयों मे समय ना  गंवाना पडे, हर पल लक्ष्य को ध्यान मे रखकर कार्य करने की जागरूकता बनी रहे । इसी का नाम तो साधना है । यही मोक्ष मार्ग है । हर पल हमारी मर्जी से बीते, हमारे समय पर अनाधिकार चेष्टा ना चल पाए । हम वहीं करे, सुने, पढे, देखे जो हमारे लक्ष्य की पूर्ति करे । अन्यथा कार्यों को शत्रु मानकर, जीवनचर्या से बाहर निकालने का प्रयास करें । हमारे पास सदा समय रहेगा । कभी 'समय नहीं है' की समस्या नहीं आएगी ।

महान बनों और अन्य मनुष्योंें होने वाली महानता तुम्हारी सहायता से मिलने के लि उठ खी होगी ।
                  - लावेल
बालहंस पत्रिका से साभार

सोमवार, 21 जनवरी 2013

नमस्कार

सबसे पहले तो महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर उनका शत-शत नमन ।
काश आज हम सबके ह्रदय मे भी ऐसे ही स्वदेश प्रेम की आग जलती जैसे महाराणा प्रताप के ह्रदय मे जलती थी । आज हम सबको उनके आदर्शों को मनन करना चाहिए और अपने जीवन में भी उतारना चाहिए । जिस दिन ऐसा हो गया उसी दिन से हमारे देश की कई समस्यायें स्वतः गायब हो जाएंगी ।
बहुत दिनों से लिखने का मन कर रहा था परन्तु व्यस्तता से मजबूर कारण एक नये आशियाने का निमार्ण कार्य । बस इसी वजह से इतने दिनो से लेखन से दूर था और वैसे भी मुझमें मौलिक लेखन का अभाव है । इतने दिनों बाद अपने मन के विचारों को साझा कर रहा हूँ वरना मै ज्यादा अपनी बात शेयर नहीं करता । कभी-कभी तो मुझे ऐसा लगता है कि मै खुद एक अबूझ पहेली बनना चाहता हूँ परन्तु फिर यहीं सोचता हूँ कि अपनी ही बनाई हुई पहेली में मै उलझ ना जाऊँ ।