चित्रकूट में पहले दिन यानि कल पहले तो हम रामगंगा नहाने गये । आनन्द तो बहुत आया स्नान में लेकिन दुःख भी बहुत हुआ यंहा पर व्याप्त गन्दगी को देखकर । यंहा स्थानीय लोगो से बात करके मालूम हुआ कि प्रशासन एक प्लांट लगा रहा हें जो कि जल शोधन का कार्य करेगा पर पता नहीं इसे असली जामा कब तक पहुचाया जायगा । पर एक बात तो हैं कि गंगा में नहाकर तन मन में स्फूर्ति आ जाती हैं । गंगा में नहाने के बाद फिर थोड़ी देर आराम किया फिर हम लोग कामादानाथ मंदिर गए वंहा जाकर कामादानाथ की परिक्रमा की जिसका परिक्रमा पथ पांच किलोमीटर लम्बा है ।यंहा पर हम धर्मशाला में रुके थे जिसका नाम आगरा अग्रवाल धर्मशाला है । धर्मशाला की व्यवस्था संतोषजनक थी ।
जब शाम को हम परिक्रमा करके आये तो पेट में चूहे कूद रहे थे तो फिर हम होटल गए और वहां भोजन किया । वंहा का भोजन तो बढ़िया था पर वंहा एक व्यवस्था भोजन के थाली दर की है । वंहा पर 70 और 80 रूपये की थाल है । फिलहाल पहला दिन तो आनंदमय रहा है ।
जब शाम को हम परिक्रमा करके आये तो पेट में चूहे कूद रहे थे तो फिर हम होटल गए और वहां भोजन किया । वंहा का भोजन तो बढ़िया था पर वंहा एक व्यवस्था भोजन के थाली दर की है । वंहा पर 70 और 80 रूपये की थाल है । फिलहाल पहला दिन तो आनंदमय रहा है ।
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