सोमवार, 8 अप्रैल 2013

चित्रकूट दर्शन

चित्रकूट में हम स्फटिक शिला के दर्शन के पश्चात् सती अनुसुइया के आश्रम गए वंहा आश्रम जैसा तो कुछ नहीं था पर विशाल मंदिर अवश्य था जिसके अन्दर उस समय की प्रमुख घटनाओं को वर्णन करते झाँकिमय मूर्तिया मौजूद थी उनमे से कई तो अत्यंत ही भव्य थी ।  उस मंदिर के सम्मुख ही एक अत्यंत सुन्दर और विशाल सरोवर है जिसमें अनेकों प्रकार की सुन्दर  मछलियाँ भी मौजूद है । वंहा काफी देर रुकने के पश्चात हम लोग गुप्त गोदावरी गए जंहा पर दो गुफाएँ मौजूद है एक गुफा का प्रवेश मार्ग थोडा संकरा है जिसके अन्दर निरंतर जलधारा का प्रवाह होता रहता है ।  गुफा के अन्दर का दृश्य बड़ा ही मनोरम है ।गुफा से निकलकर हम लोगों ने  वहीं पर थोड़ी देर विश्राम किया । उसके पश्चात् हम लोग फिर हनुमान धारा गए जंहा पर काफी उचांई पर हनुमान मंदिर स्थित है और वंहा की एक खास बात ये है कि वंहा पर जल धारा का प्रवाह लगातार होता रहता है वहीँ पर और ऊंचाई पर सीता रसोई स्थित है । वंहा से हम लोगो ने वापस आकर थोड़ी खरीदारी की जिसमे वंहा की बनी खूबसूरत लकड़ी की कार और कुछ चाबी के गुच्छे तथा अपने छोटे भांजे के लिए हाथ में पहनने वाले कंगन ।

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