सोमवार, 17 जून 2013

मैहर की यात्रा

हम लोगों ने चित्रकूट से निकल कर फिर मैहर जाने का निश्चय किया । मैहर में माँ दुर्गा का शक्तिपीठ है जिनके नाम पर ही इस क्षेत्र का नाम मैहर है । चित्रकूट से हम बस द्वारा मैहर के लिए निकले । बस सतना जिले तक जाती है  सतना जिला वंही है जंहा पर सतना सीमेंट की फैक्ट्री है । सतना जिला काफी बड़ा है । वंहा से हमने फिर बस पकड़ी और पहुँच गए मैहर । वंह का वातावरण भक्तिमय है और साथ ही प्रसाद की दुकानें अनगिनत । वंहा प्रसाद की दुकानों में एक अच्छी व्यवस्था है आप उन्ही दुकानों में प्रसाद लीजिए और वही विश्राम भी कीजिए । वंहा पर हम लोगों ने थोड़ी देर विश्राम किया उसके बाद फिर हम लोगो ने चढाई प्रारंभ की ।वंहा मंदिर परिसर में  हम लोगो को बहुत ही सुकून महसूस हुआ आखिर माता के चरण के पास जो थे वहां हम लोगो ने माता मैहर के दर्शन किए फिर थोड़ी देर मन्दिर परिसर मे ही रूक कर वहां के परिदृश्य का आनंद लिया । फिर हम लोगो ने नीचे उतरना प्रारम्भ किया नीचे उतरने मे  आधा घन्टा लगा । वंहा उतर कर हम लोगो ने भोजन किया फिर थोडी देर विश्राम किया । हमे लालसा थी वंहा के बाजार देखने की सो हम थोडी देर बाद ही निकल पडे चित्रकूट के बाजारों मे वंहा ज्यादा कुछ नहीं बस थोडा बहुत सामान लिया । चित्रकूट की एक खास बात है कि वहां खाना वाजिब कीमत पर सही गुणवत्ता का मिलता है पर खाना गरिष्ठ होता है । चित्रकूट मे आनंद तो बहुत आया अरे हाँ वहां हम लोगो ने दूर से ही एक अखाडा देखा तो बताया गया कि ये अखाडा आल्हा ऊदल का है वे यहाँ कुश्ती किया करते थे ।  हम लोगो की ट्रेन नौ बजे की थी सो हम लोग स्टेशन मे ही रूकने का फैसला किया  फिर क्या ट्रेन आई और हम लोग निकल पडे घर कि ओर ।
अगली चिट्ठी मे चर्चा करेंगे की वो कौन सी जगह थी जो हमसे छूट गयी घूमने के लिए ।
YA4EWK9HPBXF

कोई टिप्पणी नहीं: