शनिवार, 6 अक्तूबर 2018

रोजाना डायरी

आज से मै एक नई आदत डाल रहा हूँ खुद में हालाँकि अभी तो ये एक प्रयास है सफल होने की पूरी उम्मीद है. वो आदत है रोजाना डायरी लिखने की. हालाँकि आप सब भी उससे जुड़े रह सकते है क्योंकि यह डायरी मै अपने इस ब्लॉग में लिखूंगा. हाँ डायरी नितांत व्यक्तिगत चीज या भावना होती है पर मै यह सोचता हूँ कि व्यक्तिगत डायरी लिखने का क्या फायदा जो सिर्फ लिखने के बाद अलमारी के किसी कोने में पडे रह कर धूल खाएँ और दूसरी बात ये कि हो सकता है कि जाने अनजाने हि सही कोई एक व्यक्ति भी मेरे इन साधारण अनुभवों का लाभ उठा सके. मेरा इसमें एक लोभ और भी है और वो ये कि लिखने से मेरी काफी चिंताएं ख़त्म हो जाती है और मुझे काफी मानसिक आराम मिलता है साथ ही इतने समय तो मै स्मार्टफोन से दूर रहकर कोई सकारात्मक और रचनात्मक कार्य कर सकूँगा. मै तो अब अपनी इस आदत या सच कहूँ तो बीमारी स्मार्टफोन की से बहुत परेशान हो गया हूँ परन्तु मेरी हालत एक नशेबाज जैसी है जो सोचता है कि आज पी ले कल नहीं पियेंगे. आज के लिए बस इतना ही ज्ञान काफी है क्योकि जितना अन्दर से भावनाएँ बाहर आएँगी उतना ही लिखा जाएगा.

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