रविवार, 26 अगस्त 2012

उद्देशय से भटकाव

मन कभी - कभी बहुत उदास हो जाता है कारण उद्देशय का ना तय हो पाना । उद्देशयविहीन जीवन जलधारा की तरंगो की भांति लगता है जो कभी उस तट से टकराती है कभी दूसरे तट से टकराती है और इस टकराहट का कोई मतलब नहीं होता है । यह सब जानते हुए भी कुछ नहीं कर पाता हूँ । समझ में ही नहीं आता करूँ तो करूँ क्या ।
जीवन में उद्देश्य का होना बहुत जरूरी है । जीवन में स्पष्ट विचारधारा का होना बहुत जरूरी है ।