बहुत
दिनों तक मै अपनें इस चिट्ठे
से दूर रहा हूँ । इसका वास्तविक
कारण तो आलस्य है और कुछ समय
की कमी । बहुत दिनों से सोच
रहा था कि अपने चिट्टे पर क्या
लिखूं पर फिर मैनें सोचा कि
मेरे चिट्ठे का नाम है ''मेरी
सोच मेरा जीवन''
और
यह चिट्ठा मैने अपनी सोच और
अपने जीवन के विभिन्न पहुलओं
से लोगों को परिचित कराने के
लिए लिखा है हालाँकि मेरे जीवन
में ऐसी कोई असाधारण बात नहीं
है जिसमें लोगों की रूचि हो
पर कहतें है कि हर इंसान कि
सोच एक जैसी नहीं होती और हर
इंसान कि सोच में कोई खास बात
होती है । अपनी उस सोच और विभिन्न
किस्सों के साथ आपके साथ आया
हूँ ।
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