सोमवार, 4 फ़रवरी 2013

सुकून के पल

किसी ने सही कहा है कि दुनिया को जीतने से पहले हमें स्वंय को जीतना चाहिए । आज के आधुनिक जीवन मे सबसे बडी समस्या तो मन की उथल पुथल से पार पाने की है । हम जितना आराम और सुख चाहते है आज के प्रचलित तरीको से उतना ही मन अशान्त हो रहा है । मुझे महसूस होता है कि मै लम्बे अर्से से सुकून नहीं पा सका हूँ । पर फिर यहीं सोचता हूँ कि सुकून हमें खोजना पडता है ना कि ये हमे हथेली मे सजा मिलेगा कि आओं और सुकून का उपभोग करों और चलते बनों । आज की जीवनशैली की सबसे बडी समस्या समय का ना होना भी है । कारण रात को देर तक उठना और सुबह देर से जागना और उस पर भी अस्त व्यस्त जीवन शैली । मेरी जीवनशैली का तो ये हाल है कि रात को बारह बजे तक जागना और सुबह नौ बजे तक सोना फिर काम की आपाधापी मे पड जाना और काम इतना कि खुद के लिए भी समय ना मिलना । कभी फुरसत के पल मिल जाये तो बहुत सुकून महसूस होता है । मेरा व्यापार मे तो ग्राहक सुबह सात बजे से लेकर रात को नो बजे तक कभी भी मुझे सम्पर्क कर सकता है और मै उसे मना भी नहीं कर सकता हूँ । बस कभी-कभी मन यहीं होता है कि लम्बे समय के लिए घूमने का प्रोगाम बनाउँ और खूब मौज मस्ती करूँ ।

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