रविवार, 15 नवंबर 2015
त्योहर बाद का जीवन
शनिवार, 24 अक्टूबर 2015
बेंजामिन फ्रैंकलिन
इधकर कुछ दिनों से बेंजामिन फ्रैंकलिन की आत्मकथा पढ़ रहा हूँ । बहुत ही धनी व्यक्तिव और बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे बेंजामिन फ्रैंकलिन । एक आविष्कारक, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक की भूमिका में थे वे । उनका जीवन अनुकरणीय है युवाओं के लिए कि कैसे संघर्षो का सामना किया ज़ाए । उनके आत्म कथा अपने पुत्र को लिखे पत्र के प्रारूप में है पर लिखने की शैली रुचिकर है अपनी आत्म कथा में इन्होंने अपने परिवार के इतिहास का भी बखूबी वर्णन किया है। बेंजामिन फ्रैंकलिन को शुरुआत से ही किताबों का पढ़ने का शौक था जिसने उनके व्यक्तिव पर गहरा प्रभाव डाला. उस समय उन्होंने उन कामो को अंजाम दिया जो हमें बहुत ही मुश्किल लगते है.
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गुरुवार, 8 अक्टूबर 2015
सच्चा उद्देशय
अभी हाल में ही एक फ़िल्म देखी जिसका नाम था लूसी उसमे एक बहुत ही बढ़िया बात कही गई मानव सभ्यता के बारे में। उसमे बताया गया कि मानव सभयता में ज्ञान और अनुभव एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचते रहे और शरीर की प्रत्येक कोशिका का काम भी यही है अपनी जानकारी को दूसरी कोशिका को देना और मानव का सच्चा उद्देशय भी यही होना चाहिये कि जो ज्ञान उसके पास है वो आगे की पीढ़ी भी प्राप्त करे न कि वो वही समाप्त हो जाए. तो मुझे भी यह तर्क और उद्देश्य सही लगा और तब मैंने निश्चय किया कि आज से मैं जो भी ज्ञान या कुछ नया सीखूंगा तो उसे दूसरों से साझा अवश्य करूंगा इसीलिए अब मेरा ब्लॉग नियमित अपडेट रहेगा हाँ समयाभाव इसमें आगे आड़े आ सकता है और कुछ नहीं.