रविवार, 1 जनवरी 2012

भारतीय संस्कृति

किसी भी भाषा में कोई भी शब्द तभी बनाया जाता है जब उस शब्द में निहित अर्थ का विचार उत्पन्न होता है. बहुत से विचार और शब्द केवल और केवल भारतीय (सनातन) संस्कृति में ही हैं और आंगला (अंग्रेजी) में ऐसा कभी सोचा ही नहीं गया. उदाहरण : पाप : इसके लिए sin शब्द है लेकिन पुण्य ? पुण्य के लिए अंग्रेजी में कोई शब्द नहीं है क्यूंकि पुण्य का विचार ही उत्पन्न नहीं हुआ ! अभिषेक : इस के लिए कोई भी शब्द नहीं बना अंग्रेजी में क्यूंकि ये विचार ही उत्पन्न नहीं हुआ. शील : इसके लिए कोई भी शब्द नहीं बना अंगरेजी में क्यूंकि ये विचार ही उत्पन्न नहीं हुआ. किन्तु संस्कृत के साथ ये नहीं है. संस्कृत में हर विचार के लिए शब्द बनाया जा सकता है. ये object-oriented concept, inheritance, polymorphism....आदि ये सब संस्कृत में निहित हैं, लेकिन इनको हमने कभी विशेष नाम नहीं दिया गया है, बस इतनी सी बात है. जल्द ही संस्कृत प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का आविष्कार हो जाएगा, तब भारत के अधिकाँश लोग ग्लानी से भर जाएंगे क्यूंकि उनको संस्कृत नहीं आती होगी.

2 टिप्‍पणियां:

उन्मुक्त ने कहा…

हिन्दी चिट्ठाजगत में स्वागत है - लिखते चलिये।

कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। यह न केवल मेरी उम्र के लोगों को तंग करता है पर लोगों को टिप्पणी करने से भी हतोत्साहित करता है। आप चाहें तो इसकी जगह कमेंट मॉडरेशन का विकल्प ले लें।

विकास गुप्ता ने कहा…

वर्ङ वेरीफिकेशन हटा लिया गया है । आशा है कि भविष्य मे भी आप इसी तरह हमें मार्गदर्शन देते रहेंगे ।