हिंदी भाषा के उज्ज्वल स्वरूप का भान कराने के लिए यह आवश्यक है कि उसकी गुणवत्ता, क्षमता, शिल्प-कौशल और सौंदर्य का सही-सही आकलन किया जाए। यदि ऐसा किया जा सके तो सहज ही सब की समझ में यह आ जाएगा कि - 1. संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है, 2. वह सबसे अधिक सरल भाषा है, 3. वह सबसे अधिक लचीली भाषा है, 4, वह एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवादविहीन हैं तथा 5. वह सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है। 6. हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है। 7. हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्दरचनासामर्थ्य विरासत में मिली है। वह देशी भाषाओं एवं अपनी बोलियों आदि से शब्द लेने में संकोच नहीं करती। अंग्रेजी के मूल शब्द लगभग १०,००० हैं, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या ढाई लाख से भी अधिक है। 8. हिन्दी बोलने एवं समझने वाली जनता पचास करोड़ से भी अधिक है। 9. हिन्दी का साहित्य सभी दृष्टियों से समृद्ध है। 10. हिन्दी आम जनता से जुड़ी भाषा है तथा आम जनता हिन्दी से जुड़ी हुई है। हिन्दी कभी राजाश्रय की मुहताज नहीं रही। ११. भारत के स्वतंत्रता-संग्राम की वाहिका और वर्तमान में देशप्रेम का अमूर्त-वाहन अब मै कुछ प्रश्न आप सबके सामने रख रहा हू उम्मीद है इस पर विचार करेगे 1. हिन्दी की भारत मे क्या प्रस्थिति है? 2. अंग्रेजी बोलने वाला एक बेवकूफ की भी स्थिति समाज मे उच्च क्यो मानी जाती है? 3.शुद्ध हिन्दी बोलने वाला मसखरा है? जाहिल है? गंवार है? 4. अंग्रेजी माध्यम स्कूलो तथा अंग्रेजी युक्त उच्च शिक्षा के विरुद्ध आन्दोलन हिन्दी के रहनुमा लोग करेगे? 5.हिन्दी लिपि के सिमटाव के पीछे किसका कुचक्र है? 6. हिन्दी के अपमान की सजा का क्या प्रावधान है? सभी पाठको से अनुरोध है कि वे सोचे और मंथन करे कि इस सन्दर्भ मे क्या किया जाना चाहिये.. जय हिन्दी जय नागरी (via Vikas Gupta)
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