सोमवार, 16 दिसंबर 2013
सोमवार, 2 दिसंबर 2013
हिटलर - एक अनोखा क्रूर व्यक्तित्व
इस समय मै हिटलर की जीवनी पढ़ रहा हूँ । हिटलर का व्यक्तित्व भी अनोखा था उसने मानव समाज को दिखला दिया कि व्यक्ति कोई भी ऊंचाई प्राप्त कर सकता है बस उसमे आत्म विश्वास और आत्म निष्ठा होनी चाहिए । हिटलर का एक और प्रमुख गुण ये था कि वो मानवीय गुणों को जबरदस्त पारखी था । उसे बखूबी मालूम था कि किस व्यक्ति को क्या चाहिए और वो उस व्यक्ति की वो इच्छा पूरी करता था और वो उससे अपना काम बखूबी लेता था । उसके हिंसक और खतरनाक इरादों को बहुत ही कम लोग भाप पाए । उसके शुरूआती जीवन मे किसी को भी ये अहसास नहीं था कि एक साधारण सा युवक एक दिन जर्मनी का सर्वेसर्वा बन जायेगा और पूरे विश्व को भीषण युद्ध की विभीषिका मे झोंक देगा ।
मंगलवार, 24 सितंबर 2013
मेरा निजी जीवन दर्शन
सोमवार, 9 सितंबर 2013
दक्षिण भारत की यात्रा की शुरूआत
दक्षिण भारत का एक स्टेशन |
सुन्दर पहाडी द्रश्य |
सुन्दर प्रतिमा तिरूपति नगर मे स्थित |
सोमवार, 1 जुलाई 2013
मन के जज्बात
अमरनाथ जाते हुए मार्ग मे |
शा से ही लकीर का फ़क़ीर रहा कारण कि मैं हमेशा अलग परिणाम की चाह में योजनाएँ बनाता पर कुछ ही दिनों मे फिर पुराने
शुक्रवार, 21 जून 2013
सोमवार, 17 जून 2013
मैहर की यात्रा
अगली चिट्ठी मे चर्चा करेंगे की वो कौन सी जगह थी जो हमसे छूट गयी घूमने के लिए ।
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शुक्रवार, 26 अप्रैल 2013
चित्रकूट की यादें
चित्रकूट में मुझे तो बहुत अच्छा लगा वंह जो जगह मुझे सबसे ज्यादा पसंद आयी वो है राम दर्शन जंहा पहुँच कर ऐसा लगता है कि प्रभु श्री राम की जीवन की सारी घटनायें अपनी आँखों के सामने घटित हो रही है । राम दर्शन एक स्थान है जंहा पर प्रभु श्री राम के जीवन की सजीव झांकी है । उसके बाद मुझे रामघाट बहुत पंसद आया वंहा का वातावरण बहुत ही रमणीय लगा वंहा शाम की आरती भी दर्शनीय है । राम गंगा में एक चीज दुखी करती है वो है जंहा पर लोग स्नान करते है वंही पर नाले का पानी गिरता है ।चित्रकूट में पंडो की वसूली भी जबरदस्त है वंहा के पंडो ने एक नया तरीका ईजाद किया है रूपए लेने का किसी भी मंदिर में घुसते ही पुजारी आपके ऊपर गदा रखेगा और कहेगा अमुक व्यक्ति ने फंला रुपया दान दिया । लो जी अब जब घोषणा हो गई तो दान तो देना ही पड़ेगा । गुप्त गोदावरी गुफा में जब प्रवेश किया तभी उसकी प्राचीनता का एहसास हो जाता है । गुप्त गोदावरी में एक पवित्र एहसास होता है । वंहा जलधारा का निरंतर प्रवाह गुफा के अन्दर होता रहता है । सती अनुसूइआ आश्रम का सरोवर बहुत ही विशाल है जो बहुत ही स्वच्छ है जिसमे अनेको प्रकार की सुन्दर छोटी बड़ी मछलियाँ पाई जाती है ।कुल मिला कर चित्रकूट की यात्रा बहुत ही आनंदमयी रही । उसके बाद फिर हम माता मैहर वाली के दर्शन करने के लिए गए जिसकी चर्चा अगली कड़ी में
गुरुवार, 25 अप्रैल 2013
स्वाभिमान
किसी गाँव में रहने वाला एक छोटा लड़का अपने दोस्तों के साथ गंगा नदी के पार मेला देखने गया। शाम को वापस लौटते समय जब सभी दोस्त नदी किनारे पहुंचे तो लड़के ने नाव के किराये के लिए जेब में हाथ डाला। जेब में एक पाई भी नहीं थी। लड़का वहीं ठहर गया। उसने अपने दोस्तों से कहा कि वह और थोड़ी देर मेला देखेगा। वह नहीं चाहता था कि उसे अपने दोस्तों से नाव का किराया लेना पड़े। उसका स्वाभिमान उसे इसकी अनुमति नहीं दे रहा था।
उसके दोस्त नाव में बैठकर नदी पार चले गए। जब उनकी नाव आँखों से ओझल हो गई तब लड़के ने अपने कपड़े उतारकर उन्हें सर पर लपेट लिया और नदी में उतर गया। उस समय नदी उफान पर थी। बड़े-से-बड़ा तैराक भी आधे मील चौड़े पाट को पार करने की हिम्मत नहीं कर सकता था। पास खड़े मल्लाहों ने भी लड़के को रोकने की कोशिश की।
उस लड़के ने किसी की न सुनी और किसी भी खतरे की परवाह न करते हुए वह नदी में तैरने लगा। पानी का बहाव तेज़ था और नदी भी काफी गहरी थी। रास्ते में एक नाव वाले ने उसे अपनी नाव में सवार होने के लिए कहा लेकिन वह लड़का रुका नहीं, तैरता गया। कुछ देर बाद वह सकुशल दूसरी ओर पहुँच गया।
उस लड़के का नाम था ‘लालबहादुर शास्त्री’।
सोमवार, 8 अप्रैल 2013
चित्रकूट दर्शन
रविवार, 7 अप्रैल 2013
चित्रकूट में दूसरा दिन
सुबह जल्दी ही हम सभी लोग तैयार हो गए । पहले हम लोग जानकी कुंड गए बताते है कि सीता माता यंहा स्नान करने आया करती थी । वंहा कुछ देर रुकने के उपरान्त हम लोग फिर राम दर्शन के लिए गए वंहा तो करीब एक घंटे हम लोग रुके । वंह पहुँच कर लगा जैसे प्रभु श्री राम की सारी जीवन गाथा सजीव हों गयी है । वंहा की झांकी में जितनी सजीविता है वैसी शायद ही कंही देखने को मिले । वंहा एक बात और अच्छी देखने को मिली वो ये कि रामायण जितनी भी विदेशी भाषाओं में लिखी गयी उन सबकी एक-एक प्रति वंहा पर मौजूद थी ।साथ ही चीन रूस फ्रांस आदि जितने भी देशो में रामायण का मंचन हुआ है वंहा की फोटो मौजूद थी । वंहा फोटो खीचना मना था इसलिए चाह कर भी फोटो नहीं खीच सका । इसके बाद हम लोग स्फटिक शिला देखने गए बताते है कि प्रभु श्री राम और माता सीता यंही पर बैठ कर चित्रकूट की सुन्दरता को निहारा करते थे । वंह पर माता सीता के पदचिन्ह अब भी मौजूद है ।
शनिवार, 30 मार्च 2013
चित्रकूट की यात्रा का पहला दिन
जब शाम को हम परिक्रमा करके आये तो पेट में चूहे कूद रहे थे तो फिर हम होटल गए और वहां भोजन किया । वंहा का भोजन तो बढ़िया था पर वंहा एक व्यवस्था भोजन के थाली दर की है । वंहा पर 70 और 80 रूपये की थाल है । फिलहाल पहला दिन तो आनंदमय रहा है ।
शुक्रवार, 29 मार्च 2013
चित्रकूट की यात्रा
आज चित्रकूट की यात्रा पर निकला हूँ ।काफी दिन से मन था कि प्रभु श्री राम ने जहाँ अपने वनवास का अधिकतम समय व्यतीत किया उस परम पुनीत पुण्य भूमि के दर्शन करूँ । उस जगह में जरुर कोई खास बात बात होगी जिसके लिए इस भूमि का चयन किया । चलो अब दो दिन चित्रकूट के दर्शन ही होंगे ।अभी तो फिलहाल बाँदा स्टेशन पंहुचा हूँ । शेष बाद में ।
मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013
जीवन दर्शन
(मानस-२ से)
मेरा मूलमंत्र है जहाँ से जो कुछ अच्छा मिले, सीखना चाहिए ।
- स्वामी विवेकानन्द